~पता है मुझे तुम्हारी बहोत याद आती रहती है|
-लेकीन हर शाम तो अपनी बात होती है फिर याद आने का क्या मतलब है ?
~पता नही |
- मतलब ?
~मतलब क्या बताऊ अभी की बस याद आती है |
तुम्हारे बगैर कुछभी अच्छा नही लगता यहाँ तक साँस लेना भी अच्छा नही लगता |
- तुम पागल हो क्या ? कैसी बातें कर रही हो | और वैसे भी में कहा जा रहा हूँ तुम्हे छोडकर ?
~तुमने मुझे पागल कहा ?
-अरे…ऐसे नही बाबा,
लेकीन कैसी बेहकी बेहकी बातें कर रही हो तुम | और फर्ज करो कल को मुझे किसी ऐसी जगहा जाना पडा...
जो बहोत दूर हो...और जहा मोबाईल टॉवर भी ना हो...
हमारी बातभी ना हो पाये कई दिनो तक तब तुम क्या करोंगी ?
~कहा जाने वाले हो तुम ?
- मैंने सिर्फ फर्ज करने को कहा है |
~ अगर ऐसा हुँआ तो पता है क्या होंगा ?
-तुम बताओ तो पता चले |
~तो अपना विरह महसुस करेंगी ये जमीन...तिलमिला उठेंगी , और फिर निचे मौजुद सारी जियोग्राफिकल प्लेटस् से होते हुए ये तडफ पहुचेंगी पृथ्वी के केद्रबिंदु तक | तकलिफ की उस लहर के जवाब में वहा सें बडी तरंग उठेंगी...इतनी बडी के भुकंप आजाए | ऐसा भुकंप जो तुम्हारे और मेरे दरम्यान मौजुद सारा फासला अपनी भितर खिंच लेंगा | ना तो कोई भौतिक दुरियाँ होंगी ना ही रुहानी |
- हम दोनो की मुलाकात के लिए इतना सारा विध्वंस ये भला कैसी बात हुई ?
प्यार तो constructive बात होती है न इसमें लोग किसी का बुरा नही करते |
~अच्छा बेटा तो ये विध्वंस है और तुम जो वो तुम्हारी सिव्हील वार , सुपरमँन , बँटमँन वाली मुव्हीज देखते हो| वो लोग जब अपनी जंग के खातिर सब कुछ तहसमहस कर देते है तब तो तुम बडे चावसें तालियाँ बजाते हो |
और मैं ऐसा सोचु भी तो विध्वंस ?
- हा हा हा...वो बात अलग है |
और तुम्हे ऐसा क्यों लगता है के हमारा प्यार एक जंग है ?
~जंग नही तो क्या है | तुम्हे उन लोगोंकी फिक्र है जो दो दिलोंके बिच पनपते प्यार को समझने की कोशिश तक नही करते |
जब भी हम मिलते है मुझे तुम्हे कस कर गले लगाना होता है
जब तक मन ना भर जाए तब तक पर यहीं तुम्हारे लोग ऐसे देखते है
मानो घोर पाप किये जा रही हूँ |
तुम्हे दूर सें देख भी लेती हूँ तो जोरसें पुकार कर पास बुलाना चाहती हूँ
और ये तुम्हारे लोग मुझे बेवकुफ और अशिष्टाचारी समझने लगते है |
और तुम फिर भी उन्हीके तरफसे बात करो |
- लेकीन लोग बुरे नही होते है | मैने तुम्हे कभी रोका है क्या गले मिलनेसें या फिर पुकारनेसे ? जाने दो न |
~ अच्छा , लोग बुरे नही होते | तो बतावो क्यो नही बचा पाते है वो प्रेमीयोकी जान ? हिर- रांझा , रोमियो- ज्युलीयट, लैला-मजनु
कोई एक तो नाम बतावो जो बच गया हो इन लोगोंकी वैहशीयत के जहर को पीकर ?
अगर लोग बुरे नही होते है तो आखिरमें हर कोई हमेशा बिछडता क्यों है ?
- उफ , क्या हो गया है तुम्हे ? बुखार चढा है क्या ? ठीक तो हो न ?
देखो एक काम करो आँफिससे छुट्टी ले लो , और आराम करो |
नही तो कल ब्रेकिंग न्युज में दिखायेंगे के
एक लडकींने सारे बिछडे प्रेमीयों का बदला लेने खातिर आँफिस में कर दिया कत्ल़े-आम |
~अच्छा बेटा , अब में ही कत्ल़े-आम भी करुंगी |
मैं तुम्हारे बगैर यहा मरे जा रही हूँ और तुम्हे मजाक सुझ रहा है |
जाओ अब मैं बात नही करुंगी रखो फोन |
- मैं नही रखुँगा और तुम भी मत रखना|
बाकी लोग जिये -मरें मुझे नही पता | तुम्हारी बातें रुक गयी तो मैं सच में मर जाऊंगा |
#rosswords
- रोशन वानखडे
- रोशन वानखडे